"निशा, बस बहुत हुआ। अब इसे उतारने दो।" भाई विजय ने मिन्नत की, उसका चेहरा परेशानी और झुंझलाहट से भरा हुआ था। "कितनी देर से ये सब ड्रामा हो रहा है। मुझे समझ नहीं आ रहा तुम क्या करने की कोशिश कर रही हो।" "अरे भैया, अभी तो मेहंदी भी लगवानी है।" निशा ने शरारत से कहा, उसकी आँखों में चमक और शरारत भरी हुई थी, मानो किसी मासूम शिकार को फंसाने की योजना बना रही हो। और फिर क्या था! निशा ने पार्लर वाली से अपने भाई विजय के हाथों पर मेहंदी भी लगवा दी। विजय, जो पहले से ही लाल रंग के लहंगे और चमकते गहनों में दुल्हन की तरह सजा हुआ था, अब पूरी तरह से तैयार था, मानो किसी अजीबोगरीब सपने में फंस गया हो। निशा ने अपने मोबाइल से कुछ तस्वीरें खींची, हर क्लिक के साथ उसकी हंसी तेज होती जा रही थी जैसे कैमरे की हर फ्लैश विजय की बेबसी पर एक तमाचा हो। "भैया, आप तो सच में बहुत सुंदर लग रहे हो!" निशा ने ठहाका लगाते हुए कहा, "अब मैं ये फोटो फ्रेम करवा कर अपने कमरे में लगाऊंगी। सोचो, हर सुबह उठते ही आपका ये रूप देखकर मेरा दिन कितना अच्छा जाएगा!" विजय ने गुस्से से, दांत प...
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