Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2025

एक दिन की आदर्श पत्नी - निशा के नए खेल..

 सुबह अलार्म की आवाज़ से विजय की आँख खुली। उसने झट से उठकर अलार्म बंद किया और जब उसने अपने आप को साड़ी मे देखा तो फिर से एक बार खुद को याद दिलाया कि आज उसे एक आदर्श पत्नी बनना है, वो भी निशा के लिए! उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये अजीब सी घबराहट उसे हो क्यों रही है। उसने सोचा कि आज उसे निशा के लिए एक अलग ही रोल निभाना था। उसने उठकर सबसे पहले अपनी साड़ी ठीक की जो रात को थकान की वजह से वैसे ही पहने सो गया था। अब बारी थी घर की साफ़ सफाई की क्योंकि निशा इसको चेक करने वाली थी और गंदगी मिलने पर सजा भी मिल सकती है तो फिर वो उठा और उसने सोचा कि पहले बाथरूम चला जाए और नित्यकर्म से निवृत होकर फिर घर की सफाई शुरू की जाए। बाथरूम जाने के लिए उसने धीरे से अपनी साड़ी उठाई और जैसे ही वो पहला कदम बढ़ाने ही वाला था कि अचानक उसका ध्यान अपने पैरों पर गया जो साड़ी में उलझ गए थे और अगले ही पल वो ज़ोर से धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। गिरते समय उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी। उसे लगा जैसे उसके शरीर में सब हड्डियाँ टूट गयी हैं पर ज़्यादा कुछ नहीं हुआ था वो बच गया जैसे तैसे।  "ये क्या हुआ?" उसने खु...

विजय का नयी बहू का अवतार - निशा की स्पेशल ट्रैनिंग..

 निशा ने विजय को एक चमकदार लाल रंग की ब्रा और पैन्टी थमाते हुए कहा, "ये लो, जाकर नहा लो और इन्हें पहन लो।" उसकी आवाज़ में एक शरारती सी शक्ति थी, "जब तक तुम नहा कर आते हो, मैं बाकी चीजें तैयार कर देती हूँ।" विजय थोड़ा झिझका, पर फिर हँसते हुए बाथरूम में घुस गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि निशा के दिमाग में क्या चल रहा है, पर वो उसके साथ बहने को तैयार था। जब विजय नहा कर बाहर आया, तो उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी। वहाँ एक खूबसूरत लाल रंग की साड़ी बिछी हुई थी, जो अपने आप में एक कहानी बयां कर रही थी। साड़ी का लाल रंग शाही ठाठ-बाट और नजाकत बयां कर रहा था। बारीक कारीगरी से बने सुनहरे धागों से सजी यह साड़ी किसी रानी के पहनावे से कम नहीं लग रही थी। साड़ी के साथ मैचिंग ब्लाउज, पेटीकोट, और गहने भी सजा कर रखे थे। ब्लाउज पर साड़ी से मिलते हुए सुनहरे धागों का काम था और गहने भी उसी कलाकारी को दर्शा रहे थे। नथ, झुमके, मांग टीका, चूड़ियाँ, बिछिया, पायल - सब कुछ एकदम परफेक्ट तरीके से सजाया गया था। साड़ी की चमक देखकर विजय का मन तो प्रसन्न हो गया, लेकिन उसका वज़न देखकर वह थोड़ा घबरा गया। उसे ऐसा लगा...

नए रूप में नया सफर - निशा के हाथों का जादू

 अगली सुबह निशा ने विजय को जल्दी उठा दिया। "भैया उठो, उठो, कितना सोते हो! देखो दस बज गए हैं।" विजय आँखें मलते हुए बोला, "क्या हुआ निशा? इतनी सुबह-सुबह क्या शोर मचा रखा है? मुझे तो अभी भी नींद आ रही है।" "अरे भैया, सुबह क्या हुई! दस बज गए हैं और आज से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू हो रही है, याद है ना?" निशा ने उत्साह से कहा। "ट्रेनिंग? किस चीज़ की ट्रेनिंग?" विजय ने नींद में पूछा। "अरे भैया, कल रात की बात भूल गए? आज से तुम छह दिन तक लड़की बनकर रहोगे और तुम्हें लड़की बनना तो मैं ही सिखाऊंगी न।" निशा ने उसे याद दिलाया। विजय को जैसे नींद से एक झटका लगा हो। उसे कल रात की सारी बातें याद आ गईं। निशा ने उसे धमकी दी थी कि अगर वो उसकी बात नहीं मानेगा तो वो उसकी फोटो और वीडियो सबको दिखा देगी। उसे याद आया कि कैसे निशा ने उसे लड़की के कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया था। "हाँ-हाँ, याद आया। मैं उठ रहा हूँ।" विजय ने हार मानते हुए कहा। निशा ने विजय को धक्का देकर बाथरूम में धकेलते हुए कहा, "जाओ, पहले नहा धो लो लेकिन उससे पहले ये हेअर रिमूवल क्रीम ...